Threads of time...
Tuesday, August 26, 2008
एक आरजू
काश कोई ऐसा होता,
जो हौले से दिल को छु जाता
आता नज़र हर तरफ़ हर जगह
बंद आँखों में सपना जैसा
जब जागो तो एक सच सपना
काश वो हमें याद करता हर लम्हा
हर पल, एक खूबसूरत से अहसास से
हर पल साथ निभाता, कभी दूर नही जाता
काश कोई ऐसा होता, जो लव्ज बोलने से पहले
हमारी बात जान जाता, कुछ एस तरफ़ हमें पहचानता
हर तकलीफ से हमारी वो टकरा जाता,
गुलाब का फूल हाथ में लिए
हमारे अश्को को पि लेता अमृत समझ क्रर
यह इंतज़ार उस एक के आने का इस कदर बर गया हम में
की न रातो को चैन है, न दिन में करार
ढूँढ़ते है हम उसे अहातों में चीराग लिए
एक दिन आएगा, जब हम इस आरजू की रख हाथ में लिए,
थक करर पेरो पर गिर जायेगे
और वो हमे बिन देखे हुए आगे बर जायेगे
ऐ खुदा वो लम्हा मत लाना,
हमे हमारी आरजू से जरूर मिलाना
Labels: वो कभी तो आयेंगे
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