Threads of time...

Tuesday, August 26, 2008

यादें आपकी

आओ यादों के कुछ फूल सजा ले हम
कभी आप याद आओ हम्हे कभी याद आपको आए हम

दिल की चौखट पर घावों ने किया है बसेरा
कभी सहलाओं आप कभी मरहम लगाए हम

युहीं न मिलना हमसे जैसे मिलते हो आप किसी अजनबी से
कभी लगाओ गले हमको कभी पहनाये हार बाहों के हम

मेरे दिल पर आज भी हैं यादें उन मुलाकातों की
कभी आना आपका दहलीज पर मेरी कभी परदों से देखते थे हम

ए सनम न कटे है अब इंतज़ार की यह घरियाँ
यादों के फूलों से कैसे ज़िन्दगी गुजार ले हम

सफ़ेद चादर पे आंखें बिछाये बैठे सजदा किए हम
के मुआसिल अब आयें आप तो निकले खुशी से यह दम

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posted by Nomade at 10:35 PM

1 Comments:

an emotional, poetic, sentimental and romantic poet you are. love to read your stuff.

Priti

September 3, 2008 at 2:18 PM  

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