Threads of time...
Tuesday, August 26, 2008
शोर
बहूत सुनते थे शोर पहलु-ऐ-दिल में
जब चीर के देखा तोह कतरा-ऐ-खून तक न था
सिर्फ़ एक तेरा नाम था और नूर-ऐ-जहाँ सा तेरा चेरा था
खावैशें सब दफन थी और तेरे आने का कोई समा न था
जब चीर के देखा तोह कतरा-ऐ-खून तक न था
सिर्फ़ एक तेरा नाम था और नूर-ऐ-जहाँ सा तेरा चेरा था
खावैशें सब दफन थी और तेरे आने का कोई समा न था
Labels: तेरा इंतज़ार
posted by Nomade at 10:49 PM
1 Comments:
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