Threads of time...
Tuesday, August 26, 2008
मैं
अपने आप से ख़ुद को
मिलवा रहा हूँ
मैं मैं हूँ
या तुम्हारी याद हूँ
कोई अंगारा हूँ
या भुजती रख हूँ
कुछ खवाबों की तामिल हूँ
या कोई भुला भटका इतिहास हूँ
कुछ याद आया आपको
मैं आपके होने का एहसास हूँ
जिस गुशन को आप वीरान किए
मैं उन् फूलों की राख हूँ
कुछ उन्काहे सवालों का जवाब हूँ
और अन्गिन्नत सवालों की किताब हूँ !
मिलवा रहा हूँ
मैं मैं हूँ
या तुम्हारी याद हूँ
कोई अंगारा हूँ
या भुजती रख हूँ
कुछ खवाबों की तामिल हूँ
या कोई भुला भटका इतिहास हूँ
कुछ याद आया आपको
मैं आपके होने का एहसास हूँ
जिस गुशन को आप वीरान किए
मैं उन् फूलों की राख हूँ
कुछ उन्काहे सवालों का जवाब हूँ
और अन्गिन्नत सवालों की किताब हूँ !
Labels: कुछ खवाब
posted by Nomade at 5:50 PM
1 Comments:
beautiful...enigmatic lines...very well punctuated thoughts
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