Threads of time...

Thursday, July 31, 2008

उनका अहसास

नहीं कहेंगे हम की आप याद आ गए
वोह लम्हा बना ही नहीं जो आपको भूल्वा दे
देखते हैं झाँक कर जब अपने दिल के आईने में
सिर्फ़ एक ही अक्स नजर आय दूर दूर तक जमाने में
आप दूर हैं पर आपकी याद हर पल साथ है
इस सन्नाटे भी हर पल आपकी आवाज़ है
पढ जाते है अकेले जब कभी इस जहाँ की भीड में
तो आ जाता आपका आन्चल हमारे हाथ है
उनकी वोह जाने हमे तो हर पल उनके होने का एहसास है
इन् चलती हुई साँसों में कहीं उनके कदमों की आवाज़ है
वोह पलट कर देख लें तो आये दिल में करार है
वक्त थम जाए अगर वोह कह दें हमको तुमसे प्यार है
पलट के वोह देखे जो मूड कर चल दिए हों कहीं
हम तो आँखें बिछाये करते आपका इन्तेज़ार हैं
जो कहते हैं हम उसका स्त्रोत्र आपके पास है
सूरज हो आप और इस वीराने को इसका एहसास है
प्यार करते हैं आपसे बस और कुछ नहीं इस जिंदगी में खास है
तुम हो तो दिन है नहीं तो काली स्याह अंधेरे से भरी रात है
शायद आपके दिल को भी इतना तो आभास है.

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posted by Nomade at 9:07 PM

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