Threads of time...

Friday, November 23, 2007

बेनकाब हुस्न

बात तब की है
जब हुस्न परदे मे रहता था
और इश्क उसे देखने की
खुदा से आरजू किया करता था
कहता था - अए खुदा हवा का एक झोंका आये
और हुस्न बेनकाब हो जाये ..
अचानक एक दिन इश्क चल बसा
और हुस्न उसकी कब्र पर फूल चढाने गया
तभी हवा का एक झोंका आया और हुस्न बेनकाब हो गया
तो कब्र से आवाज़ आई या खुदा ये कैसी तेरी खुदाई
आज जब में परदे मे हूँ तो हुस्न बेनकाब आया !
posted by Nomade at 12:23 PM

0 Comments:

Post a Comment

<< Home