Threads of time...

Saturday, February 2, 2008

Mera Sansaar

कोई जब करे तुमसे बहूत प्यार
पर न करा सके उसका कोई इजहार
नहीं उस दर्द का कोई भी इलाज
वह तोड़े है न सिर्फ दिल को
करें हैं रूह पर भी वार
जीते जी जो मिटा दे हस्ती
कहाँ है दूसरी ऐसी तलवार
वह हरफ़न मौला बन फिरे
सोये रात दिन चैन की नींद
हम वक्त-बेवक्त उनकी याद में
छुप कर खून के आंसू रोये हम
सब कुछ है दामन में अपने
आँखों में उनकी छवि
दिल में बसी उनकी याद
रूह तक करती है अब भी
उनसे बे-इंतिहा प्यार
सब कुछ वहीं है
फिर जाने क्युओं
लुट गया है हमारा संसार !

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posted by Nomade at 6:52 AM

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