Threads of time...
Sunday, January 27, 2008
ये लम्हे
कि आता है उनको हमे ख़ुशी से रुला देना
न वह जन्मे साथ न हमजोली जवान हुए
कोई कोल या इकरार नहीं था जो बंध जाते
थक न गए वह अपने सलीब उठाते उठाते
हमे भी बिठा लिया अपनी पलकों पर आते जाते
इतनी शिद्दत से उन्होने संजोया यह बिखरा चमन
हमारी बदनसीबी में भी खुदा नुमाया करा गए आते जाते
हमे इंसानियत कि तलाश थी इस जम्हुरिअत के सैलाब में
पलट के देखा तो दामन था एक फरिश्ते के हाथ में
जिगर लहू-लुहान था उसका चेहरे पर थी हलकी सी उदासी
आँखों में नमी थी पर वह रूह सबसे जुदा थी
जिसमे अभी भी दूसरो के गम जज्ब करने कि हया थी.
एहसान माने उनका या जिंदगी कि तहरीर सीखें उनसे
होगी अगर कोई तो येही होगी तस्वीर उस खुदा की.
Labels: वह फरिश्ता...
Saturday, January 26, 2008
कुछ रिश्ते
कुछ इस कदर जुदा निकले
समझते रहे जिनको अपना
वोही लखत-ए-जिगर बेवफ़ा निकले
निभाना था उमर भर साथ जिन्होंने
वोही सुखनवर जनाजे का सिला निकले
खूब सींचा जिन क्यारियों को हमने
जब बहार आई तो उनके माली ही जुदा निकले
जिनको कहते रहे काफिर उमर भर सब लोग
वोही अनजान शख्स हमारे खुदा निकले !
Labels: मेरा खुदा...
Sunday, January 6, 2008
Celeberating failure !
Failure is oppressing
Failure is restricting
Failure is subjugating
Failure is excruciating
Failure is nagging
Failure is evasdropping
Failure is demeaning
Failure is failure to celebrate failing
Failure is for capturing learnings
Failure is for humbling
Failure is for rejoice
Failure is for revival
Failure is for resurrection
Failure is for INVINCIBLE SPIRIT TO SHINE.
Find Another Idea Leading to Un-stoppable Rise of Execellence !
उसकी खामोशी
यह वह कहर है जो तुमने ढाया और हमने निभाया है
डूबते को तिनके का सहारा हो सकता हो शायद
हमने तो सितारों तले भी घनघोर अँधेरा पाया है
दो पल हम भी मुस्कुरा लेते तेरी महफिल में आकर
पर यह मंजर मेरे रकीब को रास नहीं आया है
उसकी खुदाई में कोई तो रिश्ता होता जो बांध सकता हम दोनों को
पर न जाने क्या सोच कर उसने यह जहाँ बनाया है
सितम करने वाले हजारों हैं चारों तरफ घेरे हुए
महरम लगाने वाला दूर जाता हुआ सिर्फ एक वोही साया है.
आस्थाओं और विश्वास की भूल भुलेइया में खो गया हूँ में
आज अन्धकार में विलीन होता वह मेरा ही पर्छाया है
इतनी शिदतों से उम्र भर संजोया-संभाला किये जिसको
आज टूट के बिखरता मेरा अस्तित्व धूमिल होने को आया है.
हमने तो सितारों तले भी घनघोर अँधेरा पाया है !
Labels: सितारों तले अँधेरा
उसकी खामोशी
यह वह कहर है जो तुमने ढाया और हमने निभाया है
डूबते को तिनके का सहारा हो सकता हो शायद
हमने तो सितारों तले भी घनघोर अँधेरा पाया है
दो पल हम भी मुस्कुरा लेते तेरी महफिल में आकर
पर यह मंजर मेरे रकीब को रास नहीं आया है
उसकी खुदाई में कोई तो रिश्ता होता जो बांध सकता हम दोनो को
पर न जाने क्या सोच कर उसने यह जहाँ बनाया है
सितम करने वाले हज़ारों हैं चारों तरफ घेरे हुए
महरम लगाने वाला दूर जाता हुआ सिर्फ एक वही साया है.
आस्थाओं और विश्वास कि भूल भुलेइया में खो गया हूँ में
आज अन्धकार में विलीन होता वह मेरा ही पर्छाया है
इतनी शिदद्तों से उमर भर संजोया-संभाला किये जिसको
आज टूट के बिखरता मेरा अस्तित्व धूमिल होने को आया है.
हमने तो सितारों तले भी घनघोर अँधेरा पाया है !
Labels: सितारों तले अँधेरा ...
Tuesday, January 1, 2008
New Sunrise
Like silvery clouds flying by
Like tumultous winds rising high
Like gush of raging waves on seas
Like ever rising unsurmountable mountains
Like molten metals in the hearth of earth
Like an infant walking with baby steps
Like roaring lion in the dense forests
Like omnious purifying gold in fire
Like chalis filled with elixir of life
Like an undeafeted samurai
This spirited soul will rise
Falling and rising yet again
Forging ahead with all grit and might
Never tiring or retiring before goal is reached
Blazing ever higher before this flame dies !!!
Labels: Fresh departure...
New Year
New vistas
New heights
New horizons
New resolves
New bondings
New aspirations
New exhileration
New realizations
New capabilities
New achievements
New self-actualization
New un-stoppable advancement
New chapters of spirited victories !
Labels: New Life